तुमसे दिल भी न मेरा संभाला गया
क्योँ ना शौके वफ़ा तुमसे पाला गया
तुमने मुझसे जो यूँ फेर ली है नज़र
ये लगा ज़िँदगी से उजाला गया
ना गुनाहे मुहब्बत की माफ़ी मिली
ना ये सर ठोकरोँ मेँ उछाला गया
तिश्नगी ना हुई मुझसे ज़ाहिर कभी
यूँ मेरे सामने से भी प्याला गया
सीख लीजै के ये भी हुनर एक है
ग़म को कैसे तब्बसुम मेँ ढाला गया
क्यूँ बिलखते हो अब पीटते हो ये सर
जिसको जाना था वो जाने वाला गया
-शिव
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- SHIV DIXIT
Comments (4 so far )
ASHISH CHAUHAN
Bohat achi likhi hai.
May 24th, 2015
Seekh lije ke ye bhi hunar ek hai..
ghum ko kaise tabbassum mein dhaala gaya....
Bohot shandar line...
ghum ko kaise tabbassum mein dhaala gaya....
Bohot shandar line...
May 25th, 2015
Author
Thanks Ashish Chauhan Sahab.
May 26th, 2015
Author
Thanks Anshul
May 26th, 2015