हालत-ए-मुल्क से पूछो.....सियासत क्या चीज़ है
कचहरी में घूमते पैर जानते वकालत क्या चीज़ है,

इक झोका हवा का..... जिसे शर्मशार कर गया
दुपट्टा जिसका उड़ के सोचे हिफाजत क्या चीज़ है,

इक चम्मच में भरता जिस मुफलिस का पेट छोटा
वो भूखा पेट पूछता...... रियायत क्या चीज़ है,

कहने को दुनिया मे.....सब बशर बसते है शायद
उसी दम चोट करते जो जाने नज़ाकत क्या चीज़ है,

चार पैसो की खातिर.......दिन रात एक करता
इक दिहाड़ी मजदूर पूछता.....बगावत क्या चीज़ है,

उनके हाथो मे दी गयी है......कमान आबरू की
जो खुद ना जाने बेमुराद.....शराफत क्या चीज़ है,

ता-उम्र झोपड़े में ही.....बसर करता रहा "लेख़क"
शहर में आया तो देखा..... इमारत क्या चीज़ है !

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