Ritesh Singh

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सागर किनारे

"गजब की शाम थी वो, सागर किनारे, ढलता दिन, कितने ही ख्याल थे दिल में, लिखा सभी को Read More

दो कप चाय

"तुम मैं और दो कप चाय, ख्याल की ख़ामोशी चुपके से मुस्कुराये कल के सपनो को फिर Read More

ख्वाहिसों के कतार

"ख्वाहिसों के कतार, एक जिंदगी और थोड़ी मजबुरीयाँ जिस पल ख्वाहिसों के आँचल में Read More

Aag Lagayea

"आईए बस आपकी ही कमी थी आग लगाईए जख्मे-ऐ-दिल को कुरादने वाले हाथ आगे Read More



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