मैं एक आम आदमी हुँ । मैंने देश दुनिया देखा है, घुमा और समझा है । मुझे
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जब सचिवालय में बैठे पदाधिकारी विकास की योजना सत्ताधारी दल को फायदा
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आप विचलित नहीं होते मजदूरों की लम्बी लाइनें वीरान सड़कों पर देखकर |
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खैर जो लोग कल तक अपने थे आज दूर जा चुके थे | समय बदल रहा था और मैं बखूबी
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दरभंगा शहर में जाम है, साफ सफाई की व्यवस्था नहीं है, पीने के पानी के
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मन थका सा था, बेड पर लेटे हुये दिमाग में कुछ चुलुबुला सा ख्याल आया | छत के तरफ
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जब भी किसी गाँव में कोई मंदिर देखता हूँ तो दिलों दिमाग में अपने गाँव
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फुर्सत के पल में कहानियाँ लिखने का शौक कब से हो गया ये नहीं पता लेकिन
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देखिये ये संघर्ष हमेशा चलता रहता है | संगठन बिना धन के चल नहीं सकता और
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And after 70 year of Indian independence we are raising our voice for an airport. Ohh stop this stupid screaming and listen to me. Clear your ear and get silent for some minute. I
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छत पर बैठा हुआ हूँ | दूर बारिश के पानी से सरोबार उजले चमचमाते हुए खेत
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चुपचाप बैठ कर सोचता रहता हूँ कि कौन सा ऐसा कारण है जिसने उत्तर बिहार
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सुबह सुबह वो दिख गयी थी | हरे दुपटे में लिपटी, भींगे बालों के लट को हाथों से
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नहीं लिखूंगा कहानी तो नींद नहीं आएगी और लिखूंगा तो बबाल | कभी कभी सोचता हूँ
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मैंने अपने आप को बहुत रोकने की कोशिस की | मन को मना लिया की नहीं लिखूंगा | लाल
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इंसान को कभी-कभी चशमा उतार कर भी संसार देखना चाहिये | थोड़ा कम ही दिखे वो
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नवमी कक्षा की परीक्षा चल रही थी | बाबू जी का का दिया हुआ 1 रूपया जेब में
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शादी में ! बारात नाश्ता कर चुकी थी तभी बहनोई ने बुलाया | ना ना करते हुए
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दिसम्बर के धुप में यूँ ही बालकनी के दूसरी तरफ मुड़ बैठ गया था | बादलों
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मिथिला के नवयुवकों, निकलो घरो से और उखाड़ फेंको उन बिजली के विशालकाय
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