wanted to post this letter but ....... बाबा , दस साल की नौकरी के बाद आपको फोन किया था की मैं Read More
सुबह -सुबह चारों तरफ लगे पेड़ भर जाते हैं पंछियों से , गूंजने लगता है Read More
होठों से स्मित अब रूठती नहीं, आँखें शून्य को निहारती कभी थकती Read More
चारदीवारियों की महफूज़ हवा , उधार सी है नर्म बिस्तर की नींद , उधार Read More
मैं तुम्हारी ही ग़ज़ल हूँ मत अधूरी छोड़ देना , जिस सफे पे मैं लिखी हूँ वह सफा Read More
अगर मुझे अपनी सारी ज़िन्दगी का एक शब्द में वर्णन करना हो तो वह है एकाकीपन और Read More