आप सभी मेरी कवियें पढ़ते रहे हैं उन्हें पसंद करते रहे हैं , आज आपसे मदद लेने आई Read More
कितना फ़र्क है मुझमें और मेरे तसव्वुर में...! इधर........... हर पल तुमसे दूर, तुमसे Read More
जरा सा ऊँघने की कोशिश क्या की , लगा कहीं ढोल -नगाड़े बज रहे हैं ,होशो -हवस Read More
दिल के बहुत भीतर ज़ेहन की कई-कई परतों के नीचे..... छुपा रखी है एक शिकायत ख़ास Read More
"कर लो दुनिया मुट्ठी में" ये तो सुना था लेकिन" दुनिया हमारी मुट्ठी में अभी से " Read More
मुट्ठी तो कस के बंद की थी तुम ही रेत हो गए Read More
चुपचाप बैठे-बैठे सांस लेना, कितना आसान लगता है न, काश, Read More
कुछ बुझते से ख्याल गाँठ -पोटली ले तुम्हारे शहर पहुंचे हैं कंही Read More