आप सभी मेरी कवियें पढ़ते रहे हैं उन्हें पसंद करते रहे हैं , आज आपसे मदद लेने आई Read More
कितना फ़र्क है मुझमें और मेरे तसव्वुर में...! इधर........... हर पल तुमसे दूर, तुमसे Read More
"कर लो दुनिया मुट्ठी में" ये तो सुना था लेकिन" दुनिया हमारी मुट्ठी में अभी से " Read More
मुट्ठी तो कस के बंद की थी तुम ही रेत हो गए Read More
चुपचाप बैठे-बैठे सांस लेना, कितना आसान लगता है न, काश, Read More
कुछ बुझते से ख्याल गाँठ -पोटली ले तुम्हारे शहर पहुंचे हैं कंही Read More